लगातार दूसरी बार सीतामढ़ी मेले की ठीकेदारी करेंगे सरकारी ठीकेदार

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लगातार दूसरी बार सीतामढ़ी मेले की ठीकेदारी करेंगे सरकारी ठीकेदार
सनोज कु संगम
मेसकौर (नवादा ): ऐतिहासिक सीतामढ़ी मेले का जिम्मा इस वर्ष भी सरकारी ठीकेदारों के हाथ में रहेगी। बताते चले कि मेले का रिजर्व डाक ज्यादा रहने के कारण कोई भी लोकल ठीकेदार इस वर्ष मेले के लिए बोली लगाने को तैयार नहीं हुए, 11,12,एवं 13नवंबर को इस वर्ष सीतामढ़ी मेले के लिए बोली लगाने का समय तय किया गया था, लेकिन उक्त अवधि तक कोई भी ठीकेदार मेले के लिए बोली लगाने को नहीं पहुंचा। तब जिला प्रशासन ने 5, 6एवं 7दिसम्बर को एक और मेले की बोली लगाने के लिए समय रखा। इसबार भी कोई ठीकेदार उक्त अवधि तक मेले के लिए बोली लगाने को नहीं पहुँचे। बताते चले की पिछले साल भी सीतामढ़ी का सरकारी डाक ही हुआ था। इस तरह लगातार दो सालो से सीतामढ़ी मेले का जिम्मा सरकारी ठीकेदारों के पास रहेगी। पूर्व मेला ठीकेदार रामनरेश सिंह ने बताया कि
जिला प्रशासन की उदासीनता से जिले का प्रसिद्ध सीतामढ़ी मेले का भविष्य अधर में लटकता दिख रहा है। स्थिति यह है कि लगातार दो बार समय मुकरर होने के बाद भी कोई भी ठेकेदार जिला प्रशासन द्वारा मेला के लिए जारी निविदा में बोली लगाने नहीं पहुंचे हैं,जबकि आज बोली की आखिरी तिथि है। कमोवेश यही स्थिति बीते वर्ष भी थी जब कोई ठेकेदार निविदा के लिए बोली लगाने नहीं पहुंचा और मेला का व्यवस्था सरकारी स्तर पर अंचल पदाधिकारी को करना पड़ा। सीतामढ़ी मेला इस बार फिर सरकारी ही रहने की संभावना बढ़ गई हैं। मेले के पूर्व ठेकेदार राजेंद्र सिंह का कहना हैं कि मेले की सुरक्षित राशि अधिक रहने के कारण हमलोग इसबार टेंडर लेने मे असमर्थ हैं। पूर्व ठीकेदार राजेंद्र सिंह का कहना है कि हमलोग 40 साल से सीतामढ़ी मेले का टेंडर लेते आ रहे हैं। मेले की टेंडर की राशि बढ़ते बढ़ते आज 25 लाख तक पहुंच गया है। लेकिन सरकारी मदद नगन्य है। इस स्थिति मे ठेकेदारी करना अब कठिन हो गया है। मेला संचालक रविंद्र सिंह का कहना है कि पिछले साल सरकारी ठेका था। समूचे सरकारी तंत्र मिलकर साढ़े तेरह लाख की उगाही किया था, जो की सीतामढ़ी मेले के हिसाब से ठीक था। उक्त ठेकेदारों ने बताया कि 4 दिनों के मेला के लिए इतनी बड़ी राशि संभव नहीं है। मेला का अस्तित्व बचा रहे इसके लिए स्थानीय ठेकेदार टेंडर ले लिया करते थे लेकिन हर बार भारी नुकसान उठाना पड़ रहा था। लोगों ने कहा कि पिछले वर्ष सरकारी स्तर पर जो राशि वसूली हुई है उस पर जिला प्रशासन विचार करती है, तभी टेंडर पर बोली के लिए विचार किया जाएगा।
बता दें कि जगत जननी माता सीता की निर्वासन स्थली व लवकुश की जन्मस्थली के रूप में प्रसिद्ध सीतामढ़ी मेला काष्ठ कला के लिए काफी प्रसिद्ध है। लोगों को विवाह, गौना आदि मांगलिक कार्यों समेत कृषि कार्य में प्रयुक्त उपकरणों के लिए बेसब्री से मेले का इंतजार रहता है।

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